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Vasai, Maharashtra, India
Trying to understand the definition / technicality of Religion & Humanity.

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Tuesday, July 14, 2020

गरीब कैसे भरे बच्चों का स्कूल फी ?

@narendramodi द्वारा 24 मार्च 2020 को शुरू होने वाला लोकडौन, जिसके बाद मध्यम वर्ग के कई लोगों को अप्रैल 2020, मई 2020, का सैलरी उद्योग पतियों ने दिया नहीं।
तो फिर स्कूल कैसे sms कर सकता है कि फी भड़ने का काउंटर खुला हुआ है, आप अपने फी भड़ें?
#cbsc बोर्ड का मेरे पास भी sms है।

सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा क्रांति

देश के बच्चों के शैक्षणिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

6 ठी कक्षा से लेकर स्नातक तक का डिजिटलाइजेशन कर देना चाहिए, और सरकारी स्कूलों की दैनिक क्लास के तर्ज पर ही वीडियो लेक्चर के माध्यम से सम्पूर्ण देश के बच्चों को एक साथ पढ़ाने और उनका साप्ताहिक ऑनलाइन टेस्ट लेने की प्रक्रिया को तत्काल शुरू कर देनी चाहिए।

वीडियो बनाने के लिए देश भर से हर विषय के काबिल चुनिंदा शिक्षकों को इकट्ठा करना चाहिए ताकि देश के सभी बच्चों को समान शिक्षा प्राप्ति का अवसर मिल सके।

जैसे स्कूल में क्लास नियमित समय में शुरू हो कर सब्जेक्ट वाइज दैनिक तौर पर सम्पन्न किया जाता है, यह डिजिटल स्कूल भी बिल्कुल उसी अनुशासन के साथ चलना चाहिए।

सभी माध्यमिक व उच्च विद्यालय के शिक्षक तथा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को फिजिकली पढ़ाने के लिए नियुक्त कर देना चाहिए। 

प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को आंगन वाड़ी या दूसरे सामाज कल्याण कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

6ठी कक्षा से ऊपर के सभी बच्चों को डिजिटल क्लास के माध्यम से पढ़ाने के लिए भाड़ी भड़कम सर्वर खरीद कर एक प्रशिक्षित सॉफ्टवेयर टीम को काम पर लगाना चाहिए। 

बच्चे डिजिटल क्लास से सीखेंगे और अपने डिजिटल टेस्ट भी दे सकेगें ऐसी व्यवस्था कर हम स्किल्ड एवं आत्मनिर्भर भारत का सपना शिक्षा के क्षेत्र में भी साकार कर सकेंगे।

यह काम सरकारी देख रेख में होनी चाहिए।

बच्चों को तोता बनाकर रटाने से बेहतर है उनको आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाले सब्जेक्ट भी पढ़ाए जाएं।

इससे हमारे जीडीपी पर क्या फर्क पड़ेगा पता नही पर देश के बच्चों का भविष्य सुनहरा और उज्ज्वल होगा।

यह मेरी व्यक्तिगत सोच है।
आपके वहुमूल्य समय के लिए आपका धन्यवाद।
- बिमलेंद्र झा

Tuesday, June 23, 2020

वस्तु विनिमय परंपरा (Barter)



वस्तु विनिमय परंपरा क्या है
अदल-बदल का व्यापार या व्यव्हार करना।
यह सिर्फ "एम.बी.ए." का एक सब्जेक्ट नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से चली आ रही अन्सिएंट सनातनी परम्परा है जिसे आज हम इस्तेमाल तो करते हैं परन्तु नाम बदल कर।

थोड़ा विस्तार से समझिए - जब किसी एक वस्तु या सेवा के बदले दूसरी वस्तु या सेवा का लेन-देन होता है तो इसे वस्तु विनिमय (Bartering) कहते हैं।
जैसे एक बैल लेकर १० बकरियाँ देना। इस पद्धति में विनिमय की सार्वजनिक (सर्वमान्य) इकाई अर्थात मुद्रा (रूपये-पैसे) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

मुद्रा के प्रादुर्भाव के पहले सारा लेन-देन (विनिमय) वस्तु-विनिमय के रूप में ही होता था। आजकल भी मौद्रिक संकट की स्थितियों में (जब मुद्रा का मान बहुत परिवर्तनशील हो; महंगाई के कारण मुद्रा का बहुत ही अवमूल्यन हो गया हो) वस्तु-विनिमय का सहारा लिया जाता है। कुछ अन्तरजालीय स्थलों जैसे क्रैग्स्लिस्ट (Craigslist) आदि पर भी वस्तु-विनिमय ही चलता है।

कई गाँवों में मैंने देखा है कि नाई, लोहार और कुम्भार जैसी एसेंसिअल सेवा आज भी इसी तकनीक से चलती है।
किसान खेती करता है, ग्वाला गो पालन करता है, कुम्भार बर्तन बनता, नाई बाल और दाढ़ी बनाता है, धोबी कपड़े धोता है और लोहार हल वगैरह बना कर अपने यजमान को देता है। 
और साल में दो बार किसान अपने फसलों में से फसल का कुछ निश्चित हिस्सा ऊपर के सभी लोगों को देता है जिससे उनका घर चलता है। 

धन्यवाद 
बिमलेंद्र झा

क्रेडिट कार्ड - Credit Card


Respected Friends,
Credit card motivates you to live in debt, so immediately abandon it.
Because all that transaction can be done through debit card also which you are doing with credit cards.
The only difference is that with a debit card you spend your "Own Earned" Money and through Credit Cards you spend "Money taken on Credit".
Change this mentality, only then real "self-reliance" will come into the Country Bharat.

Support in Atmanirbhar Bharat Movement.

- Bimlendra Jha

Barter System of Ancient India



Question :- What is barter tradition?
Ans. :- To exchange of trade.

It's not just a subject of "MBA", but an ancient tradition of India from hundreds of years, which we love to use today, but by changing the name.

Let me explain in little details - 
when there is a transaction of one goods or service against another, then it is called bartering.
Like giving 10 goats in exchange for one bull. In this method, currency (rupee-money) is not used.

Before the emergence of currency, all transactions (exchange) were in the form of barter. Even nowadays, in situations of monetary crisis (when the value of currency is very variable; currency has been devalued due to inflation), barter is resorted to. At some inter-state sites like Craigslist, barter also operates.

In many villages, I have seen that essential services like barber, blacksmith and Kumbhar still operate with this barter technology.
The farmer cultivates, Gwala operates cow husbandry, kumbhar makes utensils, barber makes hair and beard, washerman washes the clothes and blacksmith makes plow etc. and serving his yajaman.
And twice in a year the farmer gives some part of his crop to all the above service providers, from which his homes are running.

Thank you
-Bimlendra Jha