नमस्ते !
राग, द्वेष और शिकायत सबसे परे, इस पोस्ट के माध्यम से मैं अपने देश के सभी "मजदूर भाईयों" (देश के भाग्य विधाता) से अनुरोध करना चाहता हूँ, कि आप अपनी मजबूरी के कारण जब भी अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए अपने राज्य से दूसरे राज्यों में जाने का मन बनाएँ, तो सबसे पहले अपने आप को टटोलें, आपकी काबिलियत किस क्षेत्र में है उसे ढूंढ कर निकालें और फिर यदि आप अपने आप को कहीं कमजोर महसूस कर रहे हैं, तो प्रधान मंत्री जी का स्किल्ड इंडिया योजना हर कसबे हर गांव तक अपनी पहूँच बना चूका है उससे संपर्क साधें, और स्वयं को शिक्षित कर लें।
फिर परिवार या समाज में यदि कोई शिक्षित नौजवान हो जो इंटरनेट, कंप्यूटर, सोशल मीडिया जनता हो उनकी मदद से NEEM (National Employment Enhancement Mission) से संपर्क करें, यह योजना भारत के प्रधान मंत्री ने आप जैसे श्रमिकों को सम्मान के साथ रोजगार दिलाने के लिए ही शुरू किया है।
मैं आपको वचन देता हूँ, यदि आपने अपनी इतनी कोशिश कर ली, तो आपको जीवन में कभी कोई दिक्कत नहीं होगी।
नीचे मैं आपको अपना बिमलेंद्र झा वाला "पांडव सूत्र" समझा रहा हूँ, इन्हें इस प्रकार गांठ बांध लें, जैसे पुराने जमाने में हमारी दादी जी, हमारे दादा जी को बैल खरीदने के लिए चौरौत मेले में जाने से पहले अनेक प्रकार की सामग्री (सफर के खर्च की सामग्री) बांधकर साथ भेजती थी।
१) भूख - रोटी की इच्छा (मेरे पास है)
२) फटा हुआ कपड़ा (चिथरा) - कपड़े की इच्छा (इसमें क्या बुराई है-तन तो ढका है न )
३) बेघर - मकान की इच्छा (रात बिताने के लिए बस)
४) असुरक्षित भविष्य - भविष्य सुरक्षा (LIC है न)
ये सभी पांच सूत्र अगर आपने साध लिया तो, और जो भी बचता है वो आपका व्यक्तिगत विलासिता की इच्छा है, जैसे कि बेटे या बेटी को डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक बनाना है, ये उनके काबिलियत पर निर्भर करता है, आपको चिंता करने की जरुरत नहीं है।
यदि आपको बेटी की शादी की चिंता है, तो उसके लिए भी प्रधान मंत्री की पुत्री विवाह योजनाऐं हैं।
इसके अलावा आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं है, ये सोच कर ईश्वर के द्वारा दिए गए अपने अनमोल जीवन का आनंद बेफिक्र होकर उठाएं।
धन्यवाद
बिमलेंद्र झा