मेहँदी: भारतीय संस्कृति में प्रवेश और व्यापारिक प्रभाव का विश्लेषण
मेहँदी: भारतीय संस्कृति में प्रवेश और व्यापारिक प्रभाव का विश्लेषण मेहँदी का उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन समय से देखा जा रहा है, लेकिन यह मूल रूप से सनातन संस्कृति का हिस्सा नहीं था। इसका संबंध मुख्य रूप से अरब और उत्तरी अफ्रीकी संस्कृतियों से है, जहाँ इसका उपयोग धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सौंदर्य के लिए किया जाता था। ऐतिहासिक रूप से, मेहँदी का प्रचलन मिस्र (Egypt) की प्राचीन सभ्यताओं में भी देखा गया, जहाँ इसे सौंदर्य और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। भारत में मेहँदी का आगमन और उपयोग भारत में मेहँदी का प्रचलन मुख्य रूप से मध्यकालीन समय में हुआ, जब मुग़ल साम्राज्य का विस्तार हुआ। मुग़ल शासकों ने अपनी संस्कृति, कला और स्थापत्य के साथ-साथ मेहँदी को भी भारत में लोकप्रिय बनाया। खासकर मुग़ल दरबारों में, मेहँदी का प्रयोग दुल्हनों के लिए एक आवश्यक श्रृंगार के रूप में स्थापित हो गया। धीरे-धीरे यह परंपरा भारत के अन्य हिस्सों में फैल गई और इसका उपयोग विशेष रूप से उत्तर भारत में विवाह और धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा बन गया। मेहँदी का वर्तमान स्वरूप और महत...