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छठ पर्व: सहिष्णुता, समानता और आत्मनिर्भरता का महापर्व

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  छठ पर्व: सहिष्णुता, समानता और आत्मनिर्भरता का महापर्व छठ पर्व बिहार का न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह संस्कृति, समाज और परंपराओं से गहराई से जुड़ा एक अद्वितीय महापर्व भी है। इसकी विशेषता केवल इसके धार्मिक पहलू तक सीमित नहीं है; यह पर्व सामाजिक सहिष्णुता, आत्मनिर्भरता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक भी है। हर वर्ष लाखों लोग, बिना किसी बाहरी सहायता के, स्वेच्छा से इस पर्व को सादगी और संयम के साथ मनाते हैं। इस पर्व का महत्व इतने व्यापक रूप में फैल चुका है कि यह न केवल बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित है, बल्कि देश-विदेश के कोने-कोने में इसे समान श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। 1. समानता और समाज का मेल-मिलाप छठ पर्व समाज में समानता का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस पर्व में समाज के हर वर्ग और जाति के लोग एक समान रूप से भाग लेते हैं। चाहे कोई कितना भी सम्पन्न हो या आर्थिक रूप से साधारण, सभी लोग एक समान भक्त के रूप में नदी घाट पर उपस्थित होते हैं। छठ के दौरान घाट पर किसी प्रकार का विशेषाधिकार नहीं होता; वहाँ हर व्यक्ति समान है। इस पर्व का सबसे बड़ा सं...

वस्तु विनिमय परंपरा (Barter)

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वस्तु विनिमय परंपरा क्या है? उत्तर: अदल-बदल का व्यापार या व्यवहार करना। यह सिर्फ "एम.बी.ए." का एक विषय नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से चली आ रही प्राचीन सनातनी परंपरा है जिसे आज भी हम इस्तेमाल करते हैं, परंतु नाम बदल कर। थोड़ा विस्तार से समझिए - जब किसी एक वस्तु या सेवा के बदले दूसरी वस्तु या सेवा का लेन-देन होता है, तो इसे वस्तु विनिमय (Bartering) कहते हैं। जैसे, एक बैल के बदले 10 बकरियां देना। इस पद्धति में विनिमय की सार्वजनिक (सर्वमान्य) इकाई अर्थात मुद्रा (रुपया-पैसा) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मुद्रा के प्रादुर्भाव के पहले, सारा लेन-देन (विनिमय) वस्तु विनिमय के रूप में ही होता था। आजकल भी मौद्रिक संकट की स्थितियों में (जब मुद्रा का मूल्य बहुत परिवर्तनशील हो; मुद्रास्फीति के कारण मुद्रा का बहुत ही अवमूल्यन हो गया हो) वस्तु विनिमय का सहारा लिया जाता है। कुछ अंतरजालीय स्थलों जैसे Craigslist आदि पर भी वस्तु विनिमय ही चलता है। कई गाँवों में, मैंने देखा है कि नाई, लोहार और कुम्हार जैसी आवश्यक सेवाएं आज भी इसी तकनीक से चलती हैं। किसान खेती करता है, ग्वाला गौ-पालन कर...