वस्तु विनिमय परंपरा (Barter)


वस्तु विनिमय परंपरा क्या है?

उत्तर: अदल-बदल का व्यापार या व्यवहार करना।

यह सिर्फ "एम.बी.ए." का एक विषय नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से चली आ रही प्राचीन सनातनी परंपरा है जिसे आज भी हम इस्तेमाल करते हैं, परंतु नाम बदल कर।


थोड़ा विस्तार से समझिए - जब किसी एक वस्तु या सेवा के बदले दूसरी वस्तु या सेवा का लेन-देन होता है, तो इसे वस्तु विनिमय (Bartering) कहते हैं। जैसे, एक बैल के बदले 10 बकरियां देना। इस पद्धति में विनिमय की सार्वजनिक (सर्वमान्य) इकाई अर्थात मुद्रा (रुपया-पैसा) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।


मुद्रा के प्रादुर्भाव के पहले, सारा लेन-देन (विनिमय) वस्तु विनिमय के रूप में ही होता था। आजकल भी मौद्रिक संकट की स्थितियों में (जब मुद्रा का मूल्य बहुत परिवर्तनशील हो; मुद्रास्फीति के कारण मुद्रा का बहुत ही अवमूल्यन हो गया हो) वस्तु विनिमय का सहारा लिया जाता है। कुछ अंतरजालीय स्थलों जैसे Craigslist आदि पर भी वस्तु विनिमय ही चलता है।


कई गाँवों में, मैंने देखा है कि नाई, लोहार और कुम्हार जैसी आवश्यक सेवाएं आज भी इसी तकनीक से चलती हैं। किसान खेती करता है, ग्वाला गौ-पालन करता है, कुम्हार बर्तन बनाता है, नाई बाल और दाढ़ी बनाता है, धोबी कपड़े धोता है और लोहार हल आदि बनाता है और अपने यजमान की सेवा करता है। साल में दो बार किसान अपनी फसल का कुछ निश्चित हिस्सा इन सभी सेवा प्रदाताओं को देता है, जिससे उनका घर चलता है।


उदाहरण:


खेती और पशुपालन:


किसान अपनी फसल उगाता है और कुछ अनाज लोहार, नाई, धोबी, और कुम्हार को देता है।

ग्वाला दूध और दूध से बने उत्पाद देता है और बदले में अनाज या दूसरी आवश्यक वस्तुएं लेता है।

सेवा प्रदानकर्ता:


नाई बाल और दाढ़ी बनाता है और बदले में अनाज या सब्जियां प्राप्त करता है।

धोबी कपड़े धोता है और बदले में अनाज या अन्य वस्तुएं प्राप्त करता है।

लोहार खेती के उपकरण बनाता है और बदले में अपनी जरूरतों के लिए अन्य वस्तुएं प्राप्त करता है।

कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाता है और बदले में अनाज या अन्य आवश्यक वस्तुएं लेता है।

आज के परिप्रेक्ष्य में:


आजकल, वस्तु विनिमय प्रणाली को नए रूपों में देखा जा सकता है। विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर लोग वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, Craigslist जैसी साइट्स पर लोग एक-दूसरे से वस्तुएं और सेवाएं बदलते हैं। जब मुद्रा की कमी होती है या आर्थिक अस्थिरता होती है, तब वस्तु विनिमय प्रणाली एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।


इस प्रकार, वस्तु विनिमय प्रणाली एक ऐसी परंपरा है जो आज भी जीवित है और विभिन्न परिस्थितियों में अपनी उपयोगिता साबित करती है। यह मानव सभ्यता के शुरुआती दिनों से लेकर आधुनिक समय तक की एक महत्वपूर्ण आर्थिक प्रणाली रही है।


धन्यवाद

बिमलेंद्र झा

Comments

  1. इस प्रकार की सामाजिक व्यवस्था पर आपको कुछ कहना है तो कृपया कमेंट करें।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मोदी जी के प्रयासों को नमन: नमस्ते और नमस्कार का महत्व

जाति जनगणना की मांग: लाभ और संभावित नुकसान

सड़क और यातायात: समाज और देश की प्रगति की धुरी