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Tuesday, June 23, 2020

वस्तु विनिमय परंपरा (Barter)



वस्तु विनिमय परंपरा क्या है
अदल-बदल का व्यापार या व्यव्हार करना।
यह सिर्फ "एम.बी.ए." का एक सब्जेक्ट नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से चली आ रही अन्सिएंट सनातनी परम्परा है जिसे आज हम इस्तेमाल तो करते हैं परन्तु नाम बदल कर।

थोड़ा विस्तार से समझिए - जब किसी एक वस्तु या सेवा के बदले दूसरी वस्तु या सेवा का लेन-देन होता है तो इसे वस्तु विनिमय (Bartering) कहते हैं।
जैसे एक बैल लेकर १० बकरियाँ देना। इस पद्धति में विनिमय की सार्वजनिक (सर्वमान्य) इकाई अर्थात मुद्रा (रूपये-पैसे) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

मुद्रा के प्रादुर्भाव के पहले सारा लेन-देन (विनिमय) वस्तु-विनिमय के रूप में ही होता था। आजकल भी मौद्रिक संकट की स्थितियों में (जब मुद्रा का मान बहुत परिवर्तनशील हो; महंगाई के कारण मुद्रा का बहुत ही अवमूल्यन हो गया हो) वस्तु-विनिमय का सहारा लिया जाता है। कुछ अन्तरजालीय स्थलों जैसे क्रैग्स्लिस्ट (Craigslist) आदि पर भी वस्तु-विनिमय ही चलता है।

कई गाँवों में मैंने देखा है कि नाई, लोहार और कुम्भार जैसी एसेंसिअल सेवा आज भी इसी तकनीक से चलती है।
किसान खेती करता है, ग्वाला गो पालन करता है, कुम्भार बर्तन बनता, नाई बाल और दाढ़ी बनाता है, धोबी कपड़े धोता है और लोहार हल वगैरह बना कर अपने यजमान को देता है। 
और साल में दो बार किसान अपने फसलों में से फसल का कुछ निश्चित हिस्सा ऊपर के सभी लोगों को देता है जिससे उनका घर चलता है। 

धन्यवाद 
बिमलेंद्र झा

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