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जाति और कर्म से ब्राह्मण: एक विस्तृत विवेचन

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जाति और कर्म से ब्राह्मण: एक विस्तृत विवेचन आज के समाज में ब्राह्मण समाज दो मुख्य वर्गों में बँटता दिखाई दे रहा है। एक वे, जो जन्म से ब्राह्मण हैं, और दूसरे वे, जो कर्म से ब्राह्मण बने हैं। जो जन्म से ब्राह्मण हैं, उन्हें ब्राह्मण जाति का कहा जा सकता है, परंतु वे महान आत्माएँ, जो अपने कर्म और आचरण से ब्राह्मणत्व की श्रेष्ठता को प्राप्त करते हैं, उन्हें सच्चे अर्थों में 'कर्म से ब्राह्मण' कहा जाएगा। भारत के इतिहास में कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने जन्म के आधार पर नहीं, बल्कि अपने कर्मों की श्रेष्ठता से समाज में आदर्श स्थापित किए। इनमें महाऋषि चाणक्य का नाम सर्वप्रथम आता है। वे न केवल महान शिक्षक थे, बल्कि उन्होंने नीति और राजनीति के क्षेत्र में आदर्श स्थापित कर भारत को संगठित करने का महान कार्य किया। इसी प्रकार भगवान परशुराम, जो शौर्य और धर्म के प्रतीक माने जाते हैं, उनके कर्म ने उन्हें समाज में अमर बना दिया। प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने भी अपने जीवन का लक्ष्य मानव कल्याण को बनाया, न कि जातिगत श्रेष्ठता को। उन्होंने भारत को विज्ञान और गणित के क्...