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सामाजिक त्योहारों में भागीदारी और उनकी महत्ता

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  सामाजिक त्योहारों में भागीदारी और उनकी महत्ता सामाजिक त्योहार जैसे होली, विवाह, नगर भोज, दिवाली, गणपति उत्सव, नवरात्रि और छठ पर्व ऐसे अवसर होते हैं जहाँ समाज के सभी लोग – बच्चे, युवा, बुजुर्ग और विवाहित जोड़े – एक साथ आते हैं। इन त्योहारों में भाग लेने से कई फायदे होते हैं। इसे हम पाँच मुख्य बिंदुओं में समझ सकते हैं: 1. धार्मिक महत्व त्योहार हमें अपनी संस्कृति और धर्म से जोड़े रखते हैं। जैसे – होली में रंग खेलने से पहले होलिका दहन किया जाता है, जिससे हमें बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख मिलती है। इसी तरह, छठ पूजा में सूरज की उपासना की जाती है, जिससे हमें प्रकृति के महत्व का ज्ञान होता है। 2. आध्यात्मिक जुड़ाव त्योहार केवल खुशी मनाने के लिए नहीं होते, बल्कि वे हमें आंतरिक शांति और सकारात्मकता भी देते हैं। उदाहरण के लिए, नवरात्रि में नौ दिनों तक उपवास रखने से शरीर और मन दोनों को शुद्ध करने का अवसर मिलता है। इसी तरह, गणेश चतुर्थी पर गणपति की मूर्ति स्थापना और विसर्जन से हमें समर्पण और त्याग की भावना समझ में आती है। 3. सांस्कृतिक पहचान त्योहार हमें हमारी परंपराओं और संस्कारों से जोड़े ...

छठ पर्व: सहिष्णुता, समानता और आत्मनिर्भरता का महापर्व

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  छठ पर्व: सहिष्णुता, समानता और आत्मनिर्भरता का महापर्व छठ पर्व बिहार का न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह संस्कृति, समाज और परंपराओं से गहराई से जुड़ा एक अद्वितीय महापर्व भी है। इसकी विशेषता केवल इसके धार्मिक पहलू तक सीमित नहीं है; यह पर्व सामाजिक सहिष्णुता, आत्मनिर्भरता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक भी है। हर वर्ष लाखों लोग, बिना किसी बाहरी सहायता के, स्वेच्छा से इस पर्व को सादगी और संयम के साथ मनाते हैं। इस पर्व का महत्व इतने व्यापक रूप में फैल चुका है कि यह न केवल बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित है, बल्कि देश-विदेश के कोने-कोने में इसे समान श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। 1. समानता और समाज का मेल-मिलाप छठ पर्व समाज में समानता का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस पर्व में समाज के हर वर्ग और जाति के लोग एक समान रूप से भाग लेते हैं। चाहे कोई कितना भी सम्पन्न हो या आर्थिक रूप से साधारण, सभी लोग एक समान भक्त के रूप में नदी घाट पर उपस्थित होते हैं। छठ के दौरान घाट पर किसी प्रकार का विशेषाधिकार नहीं होता; वहाँ हर व्यक्ति समान है। इस पर्व का सबसे बड़ा सं...