गरीब कैसे भरे बच्चों का स्कूल फी ?
नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 24 मार्च 2020 को शुरू होने वाला लॉकडाउन
24 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा COVID-19 महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इस लॉकडाउन का उद्देश्य महामारी के प्रसार को रोकना था। लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा, खासकर मध्यम वर्ग के लोगों पर।
मध्यम वर्ग की समस्याएँ
लॉकडाउन के कारण कई उद्योग और व्यवसाय बंद हो गए, जिससे मध्यम वर्ग के कई लोगों की आजीविका प्रभावित हुई। बहुत से उद्योगपतियों ने अप्रैल 2020 और मई 2020 की सैलरी नहीं दी, जिससे मध्यम वर्ग के लोगों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा। इन महीनों में वेतन न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति और भी गंभीर हो गई।
स्कूलों की फीस का मुद्दा
इन कठिन परिस्थितियों में, कई स्कूलों ने छात्रों के माता-पिता को SMS भेजकर फीस भरने की मांग की। CBSE बोर्ड से जुड़े स्कूलों ने भी यह संदेश भेजा कि फीस भरने का काउंटर खुला हुआ है और आप अपनी फीस भरें। यह संदेश ऐसे समय में आया जब मध्यम वर्ग के लोगों को अपनी नौकरी और वेतन के बारे में अनिश्चितता थी।
सवाल उठते हैं:
- कैसे संभव है कि स्कूल फीस की मांग कर रहे हैं जबकि मध्यम वर्ग के लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं?
- क्या स्कूल प्रशासन और सरकार ने इस वित्तीय संकट के समय में माता-पिता की स्थिति पर विचार किया है?
निष्कर्ष
लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद की आर्थिक समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि स्कूल प्रशासन और सरकार मिलकर ऐसे उपाय करें जिससे मध्यम वर्ग के लोगों को राहत मिल सके। शिक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन इस कठिन समय में सभी पक्षों की स्थिति को समझते हुए सहानुभूति और सहयोग की आवश्यकता है।
इस संदर्भ में, सरकार को स्कूलों के फीस संबंधी नियमों पर पुनर्विचार करना चाहिए और मध्यम वर्ग के लोगों को राहत देने के उपाय करने चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों को भी माता-पिता की वित्तीय स्थिति को समझते हुए अपनी नीतियों में लचीलापन अपनाना चाहिए।
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