Posts

घरेलू ड्राइवर का प्रभाव: सेवा से नियंत्रण तक

Image
  आज के तेज़ रफ्तार और व्यस्त जीवन में घरेलू ड्राइवर न केवल परिवार के सुविधाजनक जीवन का हिस्सा बन गए हैं, बल्कि कई बार वे परिवार की सोच, निर्णयों, और सांस्कृतिक प्रवाह को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने लगते हैं। यह लेख एक विशेष अनुभव के आधार पर उस चिंताजनक पक्ष पर प्रकाश डालता है, जहाँ एक ड्राइवर ने अपनी भूमिका को महज़ "सेवा" से बढ़ाकर "नियंत्रण" तक पहुँचा दिया। बातचीत का खुलासा: जब ड्राइवर बना निर्णयकर्ता पुराने दिनों की बात है बातचीत में एक ड्राइवर से यह पूछे जाने पर कि क्या उसकी कंपनी उसे उसके त्योहारों पर छुट्टी देती है, उसने आत्मविश्वास से कहा: "कंपनी में तो नहीं मिलती क्योंकि "वहां हमारी तादाद कम है", लेकिन घर में मेरा ही हुक्म चलता है। वहाँ मैं ही तय करता हूँ कि क्या होगा, कौन करेगा और कैसे होगा। मालकिन और बच्चे पूरी तरह मेरे नियंत्रण में हैं। मैंने घर और कंपनी के सभी आवश्यक सेवाओं वेंडर जैसे - माली हाउसकीपिंग स्टाफ / मेड कुक (रसोइया) धोबी इलेक्ट्रिशियन प्लंबर सिविल वर्क मिस्त्री कारपेंटर पेंटर पीओपी वाला फर्नीचर...

सनातन धर्म में ब्राह्मणों के महत्व की रक्षा कैसे हो?

भूमिका वर्तमान समय में, ज्योतिष, वास्तु और कर्मकांड जैसे सनातनी विद्याओं में राजस्थान के मारवाड़ी समुदाय ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। यह सत्य है कि व्यापारिक दृष्टि से कुशल होने के कारण, उन्होंने इन क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक वर्चस्व स्थापित कर लिया है। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि सनातन धर्म में ब्राह्मणों की पारंपरिक भूमिका और सम्मान को बनाए रखा जाए। इस लेख में हम विश्लेषण करेंगे कि क्या हो रहा है, क्या होना चाहिए था और आगे क्या किया जा सकता है। 1. वर्तमान स्थिति (क्या हो रहा है?) व्यवसायीकरण: आजकल, ज्योतिष, वास्तु और कर्मकांड केवल धार्मिक कार्य नहीं रह गए, बल्कि एक व्यवसाय का रूप ले चुके हैं। राजस्थान के मारवाड़ी समुदाय ने अपने कुशल मार्केटिंग और नेटवर्किंग के माध्यम से इस क्षेत्र में प्रभाव जमाया है। ब्राह्मणों का ह्रास: परंपरागत रूप से ये विद्याएँ ब्राह्मणों द्वारा आगे बढ़ाई जाती थीं, लेकिन अब यह शुद्ध रूप से एक "सर्विस इंडस्ट्री" बन चुकी हैं, जिसमें कई लोग केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण से काम कर रहे हैं। ज्ञान का अभाव: कई ब्राह्मण परिवारों में नई पीढ़ी इन पारंपरिक ...

MAHAKUMBH - 2025 (When the Whole World Becomes a Spiritual Family)

Image
  MAHAKUMBH - 2025 When the Whole World Becomes a Spiritual Family   कुम्भे कुम्भोद्भवः स्नात्वा सर्वपापैः प्रमुच्यते। " ( स्कंद पुराण ) अर्थ : कुंभ में स्नान करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। Meaning: By taking a bath in Kumbh, a person becomes free from all sins. ---------------------------------------------------------------------- Kumbh Mela is a divine and unique event of Indian culture, which is held every 12 years in Prayagraj, Haridwar, Ujjain, and Nashik and has its roots in ancient religious traditions. It is believed that the drops of nectar (Amrit) obtained from the churning of the ocean between gods and demons had fallen on these holy places, due to which these places became filled with spiritual energy. त्र्यहं कुम्भोद्भवे स्नात्वा यत्र क्वापि मरणं भवेत्। स वै मुक्तो न सन्देहो विष्णुना सह मोदते॥ " ( वायुपुराण ) Meaning: The person who bathes for three days during the Kumbh festival and then leav...