खिचड़ी का सबक: भारतीय राजनीति में एकता का महत्व
खिचड़ी का सबक: भारतीय राजनीति में एकता का महत्व लेखक: बिमलेंद्र झा Social activist #industrialization_in_bihar Twitter Face Book Instagram Linkedin किसी समय की बात है, एक हॉस्टल था जहाँ 100 विद्यार्थी रहते थे। हर सुबह कैंटीन में नाश्ते के लिए खिचड़ी बनाई जाती थी। कुछ दिन तक सबने इसे सहा, लेकिन धीरे-धीरे 85 विद्यार्थियों को खिचड़ी से ऊब होने लगी। एक दिन उन्होंने वार्डन से शिकायत की और कहा, "हर रोज खिचड़ी नहीं खा सकते। नाश्ते में बदलाव लाना होगा।" लेकिन 15 विद्यार्थी, जिन्हें खिचड़ी बहुत पसंद थी, बोले, "हमें तो खिचड़ी ही चाहिए।" वार्डन ने समस्या का हल निकालने के लिए वोटिंग का सुझाव दिया। सभी ने अपनी पसंद के लिए वोट किया। 85 विद्यार्थी जो खिचड़ी से परेशान थे, उन्होंने अलग-अलग विकल्प चुने: 13 ने डोसा चुना 12 ने पराठा 14 ने रोटी 12 ने ब्रेड-बटर 11 ने नूडल्स 12 ने पूरी-सब्जी 11 ने छोले-भटूरे लेकिन 15 विद्यार्थियों ने संगठित होकर खिचड़ी को ही वोट दिया। चूंकि 85 विद्यार्थी आपस में बंटे हुए थे, किसी भी विकल्प को बहुमत नहीं मिला। नतीजा यह हुआ कि कैंटीन में फिर से...