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मंडन मिश्र: एक दार्शनिक की जीवन यात्रा

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मंडन मिश्र भारतीय दर्शन के महान विभूतियों में से एक थे, जो मुख्य रूप से मीमांसा और अद्वैत वेदांत के क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका जीवन और कार्य प्राचीन भारतीय दार्शनिक परंपरा के एक महत्वपूर्ण अध्याय का हिस्सा रहे हैं। यह लेख मंडन मिश्र के जीवन, उनके दार्शनिक योगदान, शंकराचार्य के साथ उनके ऐतिहासिक शास्त्रार्थ और उनकी विरासत को प्रस्तुत करता है। 1. जीवन और पृष्ठभूमि मंडन मिश्र का जन्म मिथिला क्षेत्र के महिषी गांव में हुआ था, जो वर्तमान बिहार राज्य में स्थित है। मिथिला, जो प्राचीन काल से ही विद्वानों का केंद्र रही है, मंडन मिश्र के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत बना। वह कुमारिल भट्ट के प्रमुख शिष्य थे, जो मीमांसा दर्शन के प्रसिद्ध आचार्य थे। कुमारिल भट्ट के विचारों से प्रभावित होकर, मंडन मिश्र ने मीमांसा दर्शन में गहरी रुचि विकसित की और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कृतियाँ रचनात्मक रूप से प्रस्तुत की। 2. दार्शनिक योगदान मीमांसा दर्शन : मंडन मिश्र ने मीमांसा दर्शन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कृतियाँ लिखी, जो भारतीय दर्शन में उनका महत्वपूर्ण योगदान साबित हुईं। उनके प्र...

अपने सपनों को सही स्थान पर लगाएं

  जब सब कुछ बिखरता हुआ सा लगता है, तो अक्सर यह कुछ बड़ा और अद्भुत बनाने की नींव रख रहा होता है। क्या जीवन कभी-कभी ऐसा ही नहीं लगता? जैसे हम वह नन्हा पौधा हैं, जो अपने दिल में सपने और महत्वाकांक्षाएँ लिए हुए हैं, लेकिन गलत जगह या परिस्थितियों में बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे आसपास की चुनौतियाँ: 💼 वह रिजेक्शन वाले ईमेल। 💼 “पर्याप्त” न होने का डर। 💼 परिवार की उम्मीदों का बोझ। 💼 दूसरों से तुलना का दबाव। 💼 सही अवसर न मिलने की अकेलापन। ऐसे दिन आते हैं जब लगता है कि दुनिया का भार हमारी आत्मा को कुचलने पर तुला हुआ है। लेकिन यहाँ एक सच्चाई छिपी है: हमारी जगह और परिस्थितियाँ हमारे विकास को सीमित कर सकती हैं, लेकिन अगर हमें सही माहौल मिले, तो हमारी क्षमता असीमित है। हर पौधे की तरह, हमें भी सही मिट्टी, सही पोषण और सही वातावरण की आवश्यकता होती है। हर चुनौती हमें यह समझने में मदद करती है कि हमें कहाँ और कैसे बढ़ना है। हर अस्वीकृति हमें यह संकेत देती है कि हमें अपनी जगह बदलने की आवश्यकता हो सकती है। और हर कठिनाई हमें यह सिखाती है कि सही समय पर सही जगह का चुनाव कितना महत्वपूर्ण है। यदि आप...

खिचड़ी का सबक: भारतीय राजनीति में एकता का महत्व

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खिचड़ी का सबक: भारतीय राजनीति में एकता का महत्व लेखक: बिमलेंद्र झा  Social activist #industrialization_in_bihar   Twitter   Face Book   Instagram   Linkedin किसी समय की बात है, एक हॉस्टल था जहाँ 100 विद्यार्थी रहते थे। हर सुबह कैंटीन में नाश्ते के लिए खिचड़ी बनाई जाती थी। कुछ दिन तक सबने इसे सहा, लेकिन धीरे-धीरे 85 विद्यार्थियों को खिचड़ी से ऊब होने लगी। एक दिन उन्होंने वार्डन से शिकायत की और कहा, "हर रोज खिचड़ी नहीं खा सकते। नाश्ते में बदलाव लाना होगा।" लेकिन 15 विद्यार्थी, जिन्हें खिचड़ी बहुत पसंद थी, बोले, "हमें तो खिचड़ी ही चाहिए।" वार्डन ने समस्या का हल निकालने के लिए वोटिंग का सुझाव दिया। सभी ने अपनी पसंद के लिए वोट किया। 85 विद्यार्थी जो खिचड़ी से परेशान थे, उन्होंने अलग-अलग विकल्प चुने: 13 ने डोसा चुना 12 ने पराठा 14 ने रोटी 12 ने ब्रेड-बटर 11 ने नूडल्स 12 ने पूरी-सब्जी 11 ने छोले-भटूरे लेकिन 15 विद्यार्थियों ने संगठित होकर खिचड़ी को ही वोट दिया। चूंकि 85 विद्यार्थी आपस में बंटे हुए थे, किसी भी विकल्प को बहुमत नहीं मिला। नतीजा यह हुआ कि कैंटीन में फिर से...