क्या है लॉकडाउन के बाद की सबसे बड़ी चुनौती ?
मित्रों !
लॉकडाउन खत्म हो रहा है, कल से जिस बात की सबसे ज्यादा जरुरत है आपको वो है अपने क्रोध पर नियंत्रण। चाहे वो घर हो, घर से ऑफिस का सफर हो या ऑफिस पहुँच कर बॉस या सहकारी मित्र के साथ काम करना हो।
सभी के साथ उसी तरह प्रेमवत व्यव्हार करें जैसा कि आप अपने लिए दूसरों से चाहते हैं, फिर चाहे वह किसी भी ओहदे का हो।
अपने सहकारियों में भी अपने परमात्मा को ही देखें। यदि उनसे कोई भूल भी हो जाए तो उन्हें ऐसे समझाएँ जैसे अपने घनिष्ठ मित्र / छोटे भाई को समझा रहे हों।
लम्बे समय के बेरोजगारी के बाद हर घर में तंगी हो सकती है, हर इंसान किसी न किसी अभाव का सामना कर रहा हो सकता है, इसलिए आप शिक्षित नागरिकों की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है कि उनका ध्यान रखें, ढ़ाढ़स बंधाएं और उन्हें इन समस्याओं से लड़ने के लिए प्रेरित करें।
हमेशा एक ही बात का ध्यान रखें कि गाली या अपशब्द से आपको कोई शरीरिक घाव नहीं लगता, थोड़ा बहुत मानशिक पीड़ा होती है तो ऐसे में आपको ये सोचना है कि सामने वाला आपको जो अपशब्द कह रहा है उसका कारण क्या है? जब आप इस पर मनन चिंतन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि उनकी समस्या आप से कहीं बड़ी है अतः उनके इन बातों पर प्रतिक्रिया देने की आवस्यकता नहीं है।
- क्रोध दूसरों की गलतियों की सजा स्वयं को देने का नाम है।
और मेरा एक मारवाड़ी मित्र हमेशा कहता है, गाली तो गाली सही, कुछ न कुछ तो दिया ही, लिया तो नहीं न ।
बहुत से इंडस्ट्रीज सेक्टर में इस लॉकडाउन के नकारात्मक प्रभाव भी पड़ेंगे जैसे ऑटोमोबाइल सेक्टर, भवन निर्माण, होटल एवं रिसोर्ट, सिनेमा हॉल / मल्टीप्लेक्स, एविएशन, फाइनेंसियल इंस्टीटूशन एवं टूरिज्म इत्यादि।
यदि आप इनमे से किसी एक सेक्टर में हैं तो आपको बहुत ज्यादा संयम की आवस्यकता होगी।
हो सकता है आपको वेतन में कटौती की समस्या का सामना भी करना पड़े, फिर घर चलाने की समस्या भी उत्तपन्न हो सकती है, बच्चे के स्कूल की फी भरने में समस्या हो सकती है, बैंक लोन EMI भरने की भी समस्या हो सकती है, और इन सभी समस्याओं से लड़ने के लिए जो सबसे जरूरी है, वह है आपके अंदर समस्याओं से जूझने का आत्मबल और उनसे निपटने का दृढनिश्चय।
स्वयं के अंदर झांकें और अपनी कबिलियत को ढूंढने की कोशिश करें, जब भी काम से अवकाश मिले, एकांत में बैठ कर आत्म चिंतन करें और ढूंढने की कोशिश करें कि आप इससे बेहतर क्या कर सकते हैं ?
स्वयं के भीतर खुद को आत्मनिर्भर बनाने की ललक पैदा करें।
कल की आपकी नई शुरुआत अच्छी हो इसी शुभकामनाओं के साथ अगले हफ्ते एक नए विषय लेकर आपको मिलूंगा।
धन्यवाद
बिमलेंद्र झा
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