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हिमालय की चार धाम यात्रा: विस्तृत मार्गदर्शिका

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हिमालय की चार धाम यात्रा: विस्तृत मार्गदर्शिका भूमिका हिमालयन चार धाम यात्रा उत्तराखंड राज्य के चार प्रमुख तीर्थस्थलों—यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ—की यात्रा को कहा जाता है। यह यात्रा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और इसे धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस लेख में हम इन चार धामों के मार्ग, यात्रा प्रक्रिया, ठहरने की व्यवस्था, यातायात के साधन, दर्शनीय स्थल, खानपान, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करेंगे। यमुनोत्री धाम जाने का मार्ग हवाई मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है। देहरादून से बस या टैक्सी द्वारा हनुमानचट्टी, और फिर हनुमानचट्टी से जानकीचट्टी तक। रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून और ऋषिकेश हैं। रेलवे स्टेशन से हनुमानचट्टी और जानकीचट्टी तक बस या टैक्सी। सड़क मार्ग : दिल्ली से यमुनोत्री तक की दूरी लगभग 450 किलोमीटर है। दिल्ली से हरिद्वार, देहरादून, मसूरी होते हुए यमुनोत्री पहुँचा जा सकता है। यात्रा की प्रक्रिया जानकीचट्टी से यमुनोत्री : जानकीचट्टी से यमुनोत्री तक 6 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है। ...

राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्माण कार्य और यातायात प्रबंधन: समाज के हित में एक विचार

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राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्माण कार्य और यातायात प्रबंधन: समाज के हित में एक विचार राष्ट्रीय राजमार्गों का कंक्रीटकरण और विकास बेशक एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश की बुनियादी संरचना को सुधारने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। हालांकि, यदि राज्य सरकार यातायात प्रबंधन में असफल रहती है, तो इसका उल्टा प्रभाव भी हो सकता है। इस लेख में हम राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्माण कार्य के कारण होने वाले यातायात जाम और इसके परिणामस्वरूप होने वाली महंगाई, गरीबी, अतिरिक्त ईंधन खपत, समय की बर्बादी, और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा करेंगे। 1. अतिरिक्त ईंधन खपत और महंगाई राजमार्गों पर निर्माण कार्य के दौरान ट्रैफिक जाम सामान्य हो जाता है। बार-बार रुकने और चलने की वजह से वाहनों की ईंधन खपत बढ़ जाती है। यह न केवल वाहन चालकों के लिए अतिरिक्त खर्च का कारण बनता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। बढ़ती ईंधन खपत के साथ, पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि करती हैं और महंगाई को बढ़ावा देती हैं। 2. देर स...

गरीब कैसे भरे बच्चों का स्कूल फी ?

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नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 24 मार्च 2020 को शुरू होने वाला लॉकडाउन 24 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा COVID-19 महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इस लॉकडाउन का उद्देश्य महामारी के प्रसार को रोकना था। लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा, खासकर मध्यम वर्ग के लोगों पर। मध्यम वर्ग की समस्याएँ लॉकडाउन के कारण कई उद्योग और व्यवसाय बंद हो गए, जिससे मध्यम वर्ग के कई लोगों की आजीविका प्रभावित हुई। बहुत से उद्योगपतियों ने अप्रैल 2020 और मई 2020 की सैलरी नहीं दी, जिससे मध्यम वर्ग के लोगों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा। इन महीनों में वेतन न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति और भी गंभीर हो गई। स्कूलों की फीस का मुद्दा इन कठिन परिस्थितियों में, कई स्कूलों ने छात्रों के माता-पिता को SMS भेजकर फीस भरने की मांग की। CBSE बोर्ड से जुड़े स्कूलों ने भी यह संदेश भेजा कि फीस भरने का काउंटर खुला हुआ है और आप अपनी फीस भरें। यह संदेश ऐसे समय में आया जब मध्यम वर्ग के लोगों को अपनी नौकरी और वेतन के बारे में अनिश्चितता थी। सवाल उठते हैं: कैसे संभव है कि...

सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा क्रांति

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बच्चों के शैक्षणिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता देश के बच्चों के शैक्षणिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हमें कठोर और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके तहत हमें 6वीं कक्षा से लेकर स्नातक तक की शिक्षा को डिजिटलाइजेशन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। डिजिटल शिक्षा का महत्व सरकारी स्कूलों की दैनिक कक्षाओं के तर्ज पर वीडियो लेक्चर के माध्यम से सम्पूर्ण देश के बच्चों को एक साथ पढ़ाने और उनका साप्ताहिक ऑनलाइन टेस्ट लेने की प्रक्रिया को तत्काल शुरू करना चाहिए। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि सभी बच्चों को समान अवसर भी मिलेगा। काबिल शिक्षकों का चयन वीडियो लेक्चर बनाने के लिए देश भर से हर विषय के काबिल और चुनिंदा शिक्षकों को इकट्ठा करना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त हो। डिजिटल स्कूल भी नियमित स्कूल की तरह ही अनुशासन के साथ संचालित होना चाहिए, जिसमें कक्षाएं नियमित समय पर शुरू हों और विषयवार दैनिक तौर पर सम्पन्न की जाएं। शिक्षकों की भूमिका में बदलाव सभी माध्यमिक और उच्च विद्यालय के शि...

क्रेडिट कार्ड - Credit Card

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नमस्कार मित्रों, क्रेडिट कार्ड आपको कर्ज में जीने के लिए प्रेरित करता है, इसलिए इसे तुरंत छोड़ दें। क्रेडिट कार्ड से जो भी लेन-देन आप करते हैं, वह सब डेबिट कार्ड के माध्यम से भी किया जा सकता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि डेबिट कार्ड से आप अपनी "स्वयं की कमाई" खर्च करते हैं जबकि क्रेडिट कार्ड से आप "ऋण पर ली गई राशि" खर्च करते हैं। उदाहरण 1: मान लीजिए, आप अपने दोस्तों के साथ बाहर खाना खाने जाते हैं। अगर आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो आप शायद ज़रूरत से ज़्यादा खर्च कर देंगे क्योंकि आपको तुरंत पैसे देने की चिंता नहीं होती। लेकिन, जब क्रेडिट कार्ड का बिल आता है, तो आपको ब्याज के साथ भुगतान करना पड़ता है। इसके विपरीत, अगर आप डेबिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो आप केवल वही खर्च करेंगे जो आपके बैंक खाते में उपलब्ध है। उदाहरण 2: मान लीजिए, आप एक नया स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं। क्रेडिट कार्ड से खरीदने पर आपको उसे किस्तों में चुकाना पड़ सकता है, जिसमें ब्याज भी शामिल होता है। जबकि डेबिट कार्ड से खरीदने पर आप केवल उतना ही खर्च करेंगे जितना आपके पास पहले से मौजूद है, औ...

Barter System of Ancient India

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Barter Tradition The barter system refers to the exchange of goods or services without the use of money. This is not just a subject of "MBA" studies but an ancient tradition in India that has been practiced for hundreds of years. We still use it today, albeit under different names. To explain in detail - when goods or services are exchanged for other goods or services, it is called bartering. For example, giving 10 goats in exchange for one bull. In this method, currency (money) is not used. Before the advent of currency, all transactions were carried out in the form of barter. Even nowadays, in situations of monetary crisis (when the value of currency becomes very unstable; currency has been devalued due to inflation), barter is resorted to. Some inter-state sites like Craigslist also operate on a barter system. In many villages, I have observed that essential services such as those provided by barbers, blacksmiths, and potters still operate with this barter system. The farm...

रोजगार व प्रवासी मजदूरी के पांडव सूत्र एवं सरकार की योजनाएं

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भाइयों, बहनों एवं मित्रों, नमस्ते! राग, द्वेष और शिकायत सबसे परे, इस पोस्ट के माध्यम से मैं अपने देश के सभी "मजदूर भाईयों" (देश के भाग्य विधाता) से अनुरोध करना चाहता हूँ कि जब भी आप अपनी मजबूरी के कारण अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए अपने राज्य से दूसरे राज्यों में जाने का मन बनाएं, तो सबसे पहले अपने आप को टटोलें। आपकी काबिलियत किस क्षेत्र में है, उसे ढूंढें और यदि आप अपने आप को कहीं कमजोर महसूस कर रहे हैं, तो प्रधानमंत्री जी की स्किल इंडिया योजना का लाभ उठाएं। यह योजना हर कस्बे और गांव तक पहुंच चुकी है। इससे संपर्क साधें और स्वयं को शिक्षित करें। फिर, परिवार या समाज में यदि कोई शिक्षित नौजवान हो जो इंटरनेट, कंप्यूटर, और सोशल मीडिया जानता हो, उनकी मदद से NEEM (National Employment Enhancement Mission) से संपर्क करें। यह योजना भारत के प्रधानमंत्री ने आप जैसे श्रमिकों को सम्मान के साथ रोजगार दिलाने के लिए ही शुरू की है। मैं आपको वचन देता हूँ, यदि आपने इतनी कोशिश कर ली, तो आपको जीवन में कभी कोई दिक्कत नहीं होगी। नीचे मैं आपको अपना "बिमलेंद्र झा वाला पांडव सूत्र" समझा र...