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भारत में छुआछूत, विभाजन की मानसिकता, और सनातन भारतीय समाज की संरचना: एक पुनर्विचार

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भारत में छुआछूत, विभाजन की मानसिकता, और सनातन भारतीय समाज की संरचना: एक पुनर्विचार भारत, जिसकी सभ्यता हजारों वर्षों से समृद्ध और जटिल रही है, वह एक ऐसी संस्कृति को समेटे हुए है जिसमें सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक ताने-बाने गहरे बंधे हुए हैं। भारतीय समाज की इस संरचना में जाति व्यवस्था, छुआछूत, और विभाजन की मानसिकता ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, यह समझना आवश्यक है कि इस संरचना की मूल भावना में सामाजिक न्याय, समानता और सर्वजन सुखाय का आदर्श निहित है। इस लेख में, हम छुआछूत की उत्पत्ति, अंग्रेजों की विभाजनकारी मानसिकता, कांग्रेस की सत्ता हस्तांतरण के बाद की नीतियों, और भारतीय जाति व्यवस्था की खूबसूरती और समृद्धता को समझने की कोशिश करेंगे। छुआछूत की उत्पत्ति और सामाजिक सुरक्षा छुआछूत की परंपरा का आरंभ भारतीय समाज में एक सामाजिक सुरक्षा उपाय के रूप में हुआ था। मेरे स्वर्गीय दादा जी के अनुसार, छुआछूत का मूल उद्देश्य उन धर्मांतरित लोगों से समाज की रक्षा करना था, जिन्हें मलेच्छ कहा जाता था। ये लोग मुस्लिम शासन के दौरान सनातन धर्म से अलग हुए और एक अलग संस्कृति और जीवन शैली को अपनाया।...

चंद्रशेखर आज़ाद: स्वतंत्रता के प्रतीक

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चंद्रशेखर आज़ाद: स्वतंत्रता के प्रतीक चंद्रशेखर आज़ाद, जिनका नाम ही स्वतंत्रता का पर्याय बन गया था, का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके गांव का नाम भाबरा था, जो एक छोटा सा गाँव है। उनके पिता, सीताराम तिवारी, एक विद्वान और पुजारी थे, और उनकी माता, जगरानी देवी, ने उन्हें साहस और ईमानदारी के मूल्य सिखाए। अपने प्रारंभिक वर्षों से ही, चंद्रशेखर अपने विद्रोही स्वभाव के लिए जाने जाते थे, जो अक्सर अपने आस-पास की अन्याय और परंपराओं को चुनौती देते थे। क्रांति की चिंगारी 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड ने युवा चंद्रशेखर के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया। जनरल डायर द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर किए गए क्रूर अत्याचार ने उनके मन में गहरा आघात पहुंचाया। इस घटना ने, और भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों ने, उनके भीतर स्वतंत्रता के लिए एक गहरी ज्वाला जगा दी। महात्मा गांधी द्वारा नेतृत्व किए गए असहयोग आंदोलन में शामिल होने का उनका निर्णय उनके समर्पण का प्रमाण था, भले ही इसका मतलब उनकी औपचारिक शिक्षा को छोड़ना हो। एक क्रांतिकारी की यात्रा बनारस में आने के बाद, चंद्रशेखर के...

जाति जनगणना की मांग: लाभ और संभावित नुकसान

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  जाति जनगणना की मांग: लाभ और संभावित नुकसान जाति जनगणना का मुद्दा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय है, जिसे समझने और विवेकपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर विचार करते समय इसके पीछे की राजनीतिक मंशा, सामाजिक प्रभाव और इसके संभावित दुष्परिणामों का विश्लेषण आवश्यक है। संभावित नुकसान: सामाजिक विभाजन:  जाति जनगणना से समाज में विभाजन बढ़ सकता है। हर जाति अपनी संख्या के आधार पर अधिक अधिकारों की मांग कर सकती है, जिससे सामाजिक सद्भाव और एकता को नुकसान पहुँच सकता है। समाज में पहले से मौजूद जातिगत तनाव और अधिक गहरा हो सकता है, जो अंततः सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देगा। राजनीतिक लाभ की होड़:  कुछ राजनीतिक दल जाति जनगणना का उपयोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए कर सकते हैं। इससे जाति आधारित राजनीति और भी तीखी हो सकती है, जिससे विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुधार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पीछे छूट सकते हैं। यह राजनीति को एक संकीर्ण जातिगत एजेंडे तक सीमित कर सकता है। आरक्षण की सीमा का विस्तार:  जाति जनगणना के बाद, विभिन्न जातियाँ अपने लिए अधिक आरक्षण की मांग कर सकती ह...

भारतीय दर्शन शास्त्र और उनके रचयिता एवं आधुनिक प्रचारक

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भारतीय दर्शन शास्त्र और उनके रचयिता एवं आधुनिक प्रचारक  भारतीय दर्शन शास्त्र के छह प्रमुख शास्त्र और उनके रचयिता निम्नलिखित हैं, साथ ही आधुनिक समय में उनके प्रचारकों का विवरण भी दिया गया है: 1. सांख्य दर्शन रचयिता: महर्षि कपिल आधुनिक प्रचारक: स्वामी विवेकानंद, श्री अरविंद 2. योग दर्शन रचयिता: महर्षि पतंजलि आधुनिक प्रचारक: स्वामी विवेकानंद, बी.के.एस. अयंगर, परमहंस योगानंद 3. न्याय दर्शन रचयिता: गौतम (गौतम मुनि) आधुनिक प्रचारक: जॉर्ज थिबाउट (विदेशी विद्वान जिन्होंने न्याय दर्शन का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया) 4. वैशेषिक दर्शन रचयिता: कणाद (कणाद मुनि) आधुनिक प्रचारक: डॉ. एस. राधाकृष्णन (भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति, जो भारतीय दर्शन के महान विद्वान थे) 5. मीमांसा दर्शन रचयिता:  महर्षि जैमिनि आधुनिक प्रचारक: स्वामी दयानंद सरस्वती (आर्य समाज के संस्थापक), मंडन मिश्र 6. वेदांत दर्शन रचयिता: वेदव्यास (शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का प्रचार किया) आधुनिक प्रचारक: स्वामी विवेकानंद, स्वामी चिन्मयानंद, रामकृष्ण परमहंस, रमण महर्षि आधुनिक समय में प्रचारक आधुनिक युग म...

सत्वा शक्ति शेक: एक स्वादिष्ट और सेहतमंद पेय

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यह शेक बहुत ही पौष्टिक और ताकत देने वाला होता है। इसे बनाना भी बहुत आसान है। इसमें कई ऐसे तत्व हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में! सामग्री और मात्रा: सत्तू: 2 चम्मच (यह हमारे शरीर को प्रोटीन और फाइबर देता है, जिससे पाचन अच्छा होता है और हमें ऊर्जा मिलती है।) दूध: 1 ग्लास (दूध हमारे शरीर को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम और प्रोटीन देता है।) सौंफ: 1 चम्मच (सौंफ पेट को ठीक रखने और सूजन कम करने में मदद करता है।) शहद: 1 चम्मच (शहद से शेक में मिठास आती है और यह हमारी सेहत के लिए भी अच्छा होता है।) खजूर: 2 (खजूर से हमें जल्दी ऊर्जा मिलती है और यह हमारे शरीर को पोषण भी देता है।) किशमिश: 8 (किशमिश मीठी होती है और इससे शेक का स्वाद और भी अच्छा हो जाता है।) घी: 1 चम्मच (घी हमारे पाचन के लिए अच्छा होता है और इससे हमारी त्वचा भी चमकदार होती है।) हल्दी: 1/4 चम्मच (हल्दी से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और यह सूजन को भी कम करती है।) गुड़: छोटा टुकड़ा (गुड़ से शेक में मिठास आती है और यह शरीर में आयरन की कमी को पूरा करता है।) केला: 2 (केला खाने से हमें ताक...